प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में गन्धर्वों को गीत, संगीत, नृत्य, सौन्दर्य, रति, गायन व ललित कलाओं के अधिपति माने जाते हैं ! जो व्यक्ति गीत, संगीत, नृत्य, सौन्दर्य, गायन व ललित कलाओं के क्षेत्र में महारथ प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, ऐसे व्यक्तियों के लिए गन्धर्व साधना संपन्न कर लेना सर्वोत्तम मार्ग होता है !
सनातन धर्म के वैदिक व अगम शास्त्रों में प्राचीन काल से ही गन्धर्वों की साधना का प्रचलन रहा है , क्योंकि इनकी साधना वैदिक देवी देवताओं की साधना से कहीं अधिक सहज व सरल होती हैं !
गन्धर्व साधना संपन्न करने से अत्यंत कम समय में ही उत्तम अभिनय गीत, संगीत, नृत्य, सौन्दर्य, गायन व ललित कलाओं की परिपूर्णता की प्राप्ति होती है ! यही कारण है कि अत्यंत कम समय में ही उत्तम परिणाम देने वाली यह साधना आदि काल से ही करते आये हैं !
एक विशेष विधि से तंत्रोक्त पद्धति से लिंगार्चन अथवा चक्रार्चन करने मात्र से भी गन्धर्व सिद्धि स्वतः ही हो जाती हैं ! किन्तु गन्धर्व साधना आध्यात्मिक व आत्मोत्थान मार्ग का आधार कभी नहीं होती है !
उपरोक्त विषयों में अत्यंत कम समय में ही अपेक्षित परिणाम देकर आनंदमय जीवन को प्रशस्त करने वाली यह गन्धर्व साधना अवश्य ही संपन्न कर लेनी चाहिए, जिससे निश्चित ही आप अपनी गायन संगीत आदि की इच्छा की पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं !