श्रीविद्या विषयक कुछ प्राचीन व मूल ग्रन्थों का परिचय ये हैं –
1. तंत्रराज – इसकी बहुत टीकाएँ हैं। सुभगानन्दनाथ कृत मनोरमा मुख्य है। इसपर प्रेमनिधि की सुदर्शिनी नामक टीका भी है। भाष्स्कर की और शिवराम की टीकाएँ भी मिलती हैं।
2. तंत्रराजोत्तर
3. परानन्द या परमानन्दतंत्र – किसी किसी के अनुसार यह श्रीविद्या का मुख्य उपासनाग्रंथ है। इसपर सुभगानंद की सुभगानंद संदोह नाम्नी टीका थ। कल्पसूत्र वृत्ति से मालूम होता है कि इसपर और भी टीकाएँ थी।
4. सौभाग्यकल्पद्रुम – परमानंद के अनुसार यह श्रेष्ठ ग्रंथ है।
5. सौभाग्य कल्पलतिका (क्षेमानन्द कृत)
6. वामकेश्वर तंत्र (पूर्वचतु:शती और उत्तर चतु:शती) इसपर भास्कर की सेतुबंध टीका प्रसिद्ध है। जयद्रथ कृत वामकेश्वर विवरण भी है।
7. ज्ञानार्णव- यह 26 पटल में है।
8-9. श्रीक्रमसंहिता तथा वृहदश्रीक्रमसंहिता।
10. दक्षिणामूर्त्ति संहिता – यह 66 पटल में है।
11. स्वच्छंद तंत्र अथवा स्वच्छंद संग्रह।
12. कालात्तर वासना – सौभाग्य कल्पद्रुप में इसकी चर्चा आई है।
13. त्रिपुरार्णव।
14. श्रीपराक्रम – इसका उल्लेख योगिनी-हृदय-दीपका में है।
15. ललितार्चन चंद्रिका – यह 17 अध्याय में है।
16. सौभाग्य तंत्रोत्तर
17. मातृकार्णव
18. सौभाग्य रत्नाकर: (विद्यानंदनाथ कृत)
19. सौभाग्य सुभगोदय – (अमृतानंदनाथ कृत)
20. शक्तिसंगम तंत्र- (सुंदरी खंड)
21. त्रिपुरा रहस्य – (ज्ञान तथा माहात्म्य खंड)
22. श्रीक्रमात्तम – (निजपकाशानंद मल्लिकार्जुन योगींद्र कृत)
23. अज्ञात अवतार – इसका उल्लेख योगिनी हृदय दीपिका में हैं।
24-25. सुभगार्चापारिजात, सुभगार्चारत्न: सौभाग्य भास्कर में इनका उल्लेख है।
26. चंद्रपीठ
27. संकेतपादुका
28. सुंदरीमहोदय – शंकरानंदनाथा कृत
29. हृदयामृत- (उमानंदनाथ कृत)
30. लक्ष्मीतंत्र: इसें त्रिपुरा माहात्म्य है।
31. ललितोपाख्यान – यह ब्रह्मांड पुराण के उत्तरखंड में है।
32. त्रिपुरासार समुच्चय (लालूभट्ट कृत)
33. श्री तत्वचिंतामणि (पूर्णानंदकृत)
34. विरूपाक्ष पंचाशिका
35. कामकला विलास
36. श्री विद्यार्णव
37. शाक्त क्रम (पूर्णानन्दकृत)
38. ललिता स्वच्छंद
39. ललिताविलास
40. प्रपंचसार (शंकराचार्य कृत)
41. सौभाग्यचंद्रोदय (भास्कर कृत)
42. बरिबास्य रहस्य: (भास्कर कृत)
43. बरिबास्य प्रकाश (भास्कर कृत)
44. त्रिपुरासार
45. सौभाग्य सुभगोदय: (विद्यानन्द नाथ कृत)
46. संकेत पद्धति
47. परापूजाक्रम
48. चिदंबर नट ।