स्नान के उपरान्त स्वच्छ वस्त्र व तिलक धारण कर गुरु व माता, पिता सहित सभी ज्येष्ठ जनों को प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त कर उत्तर, पूर्व अथवा पूर्वोत्तर दिशा की ओर मुख करके अपने आसन पर बैठकर सर्वप्रथम प्राणायाम आचमन आदि कर आसन पूजन हेतु आचमनी चम्मच में विनियोगार्थ जल लेकर विनियोग का उच्चारण करें :- ॐ अस्य श्री आसन पूजन महामन्त्रस्य कूर्मो देवता मेरूपृष्ठ ऋषि पृथ्वी सुतलं छंद: आसन पूजने विनियोग:…
अधिक पढ़ें!! संस्कृत !! श्रीदेव्या अथर्वशीर्षम् ऊँ सर्वे वै देवा देवीमुपतस्थुः कासि त्वं महादेवीति ॥१॥ साब्रवीत्- अहं ब्रह्मस्वरूपिणी । मत्तः प्रकृतिपुरुषात्मकं जगत् । शून्यं चाशून्यम् च ॥२॥ अहमानन्दानानन्दौ । अहं विज्ञानाविज्ञाने । अहं ब्रह्माब्रह्मणी वेदितव्ये । अहं पञ्चभूतान्यपञ्चभूतानि । अहमखिलं जगत् ॥३॥ वेदोऽहमवेदोऽहम्। विद्याहमविद्याहम्। अजाहमनजाहम् । अधश्चोर्ध्वं च तिर्यक्चाहम् ॥४॥ अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्चरामि । अहमादित्यैरुत विश्वदेवैः । अहं मित्रावरुणावुभौ बिभर्मि । अहमिन्द्राग्नी अहमश्विनावुभौ ॥५॥ अहं सोमं त्वष्टारं पूषणं भगं दधामि। अहं विष्णुमुरुक्रमं ब्रह्माणमुत…
अधिक पढ़ेंश्री दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से हवन करने से इस प्रकार से कार्यसिद्धि होती है ! किन्तु श्री दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से हवन आपके कुलपुरोहित अथवा सक्षम विद्वान् ब्राह्मण के निर्देशन व उपस्थिति में ही होना आवश्यक है ! अन्यथा हवन में कोई त्रुटि रह जाने पर दुष्परिणाम भी सम्भावित होते हैं । जायफल से कीर्ति और किशमिश से कार्य की सिद्धि होती है । आंवले से सुख और केले…
अधिक पढ़ेंसर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए । – तत्पश्चात आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए । – माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें । – शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें । – इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण…
अधिक पढ़ेंश्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का प्रत्येक प्राणी को स्वतन्त्र अधिकार है | तथा श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए किसी भी प्रकार की दीक्षा लेने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी महात्मय का श्रद्धापूर्वक बखान व मनन है, तथा इसमें केवल देवी की प्रसन्नता हेतु पूजा, पाठ, हवन व मनन किया जाता है, जिस कारण श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने…
अधिक पढ़ेंश्री दुर्गा सप्तशती का श्रद्धा भाव से किया गया पाठ अद्भुत शक्तियां प्रदान करता है ! नवरात्र के पवित्र समय में आत्मिक, आध्यात्मिक विकास, सुख समृद्धि, भौतिक व आन्तरिक शक्ति संचय व प्राप्ति के उद्देश्य से माता को प्रसन्न करने के लिए साधक विभिन्न प्रकार के पूजन करते हैं, जिनसे श्रृष्टि की अधिष्ठात्री जगदम्बा योगमाया प्रसन्न होकर उन्हें अद्भुत शक्तियां प्रदान करती हैं । ऐसा माना जाता है कि यदि नवरात्र…
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