।। वाग्देवी साधना के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी बसन्त पंचमी के स्वयंसिद्ध योग में दिनांक 05/02/2022 है, तथा इस साधना हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 28/01/2022 है !।।
इस साधना के लाभ :- यह साधना विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण साधना होती है, इस साधना के प्रभाव से व्यक्ति में सभी विषयों में नवीन सम्भावनाओं को खोजने, की क्षमता का विकास होता है ।
- इस साधना के प्रभाव से व्यक्ति की बौद्धिक, मानसिक क्षमता व स्मरण शक्ति का अप्रत्याशित विकास होता है ।
- इस साधना के प्रभाव से व्यक्ति को गीत, संगीत व अनेक विद्याओं में सफलता की प्राप्ति होती है ।
- अत्यन्त गूढ़ से गूढ़ प्रश्न का पुर्णतः सटीक उत्तर स्वयं के अवचेतन से प्राप्त किया जा सकता है ।
- इस साधना के प्रभाव से व्यक्ति के बौद्धिक, मानसिक व स्मृति सम्बन्धी सभी दोष नष्ट हो जाते हैं, व प्रखर बुद्धि, स्मृति का विकास होता है ।
अनिवार्य योग्यताएं :- इस साधना शिविर में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !
- साधनाकाल में आधा घंटे तक पूर्ण एकाग्रता से मन्त्र जप कर सके !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से सात्विक भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से मार्गदर्शक गुरु के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से उत्तम प्राण ऊर्जा (उत्साह) की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में साधना की पूर्णता हेतु गुरु द्वारा प्रदत्त अनिवार्य निर्देशों व साधना के नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो !
- साधनाकाल के लिए अनिवार्य व्यवहारिक नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो ! व्यवहारिक नियमों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
साधना अवधि :- नियमानुसार यह साधना एक माह से आठ वर्ष तक के बालकों के लिए केवल बसन्त पन्चमी के दिन एक घंटे में ही शक्तिपात द्वारा विधिवत् सम्पन्न होती है !
आठ वर्ष से बारह वर्ष तक के बालकों के लिए केवल बसन्त पन्चमी के दिन एक ही दिन में प्रातः से शाम तक शक्तिपात सहित मन्त्र जप द्वारा विधिवत् सम्पन्न होती है !
बारह वर्ष से सोलह वर्ष तक के बालकों के लिए बसन्त पन्चमी के दिन से प्रारम्भ होकर तीन दिन में शक्तिपात सहित मन्त्र जप द्वारा विधिवत् सम्पन्न होती है !
सोलह वर्ष से अट्ठारह वर्ष तक के बालकों के लिए बसन्त पन्चमी के दिन से प्रारम्भ होकर तीन से पांच दिन में शक्तिपात सहित मन्त्र जप व घृतयज्ञ द्वारा विधिवत् सम्पन्न होती है !
अट्ठारह वर्ष से चौबीस वर्ष तक की आयु के बालकों के लिए बसन्त पन्चमी के दिन से प्रारम्भ होकर पांच से सात दिन में शक्तिपात सहित मन्त्र जप, घृत, आंवला व भूर्जपत्र के यज्ञ द्वारा विधिवत् सम्पन्न होती है !
तथा उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व साधना के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह साधना अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !
उपस्थिति व पंजिकरण :- साधना हेतु साधना प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा साधना की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।
अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री तथा सोलह वर्ष से अधिक आयु के बालकों को आधा किलो घृत (घी) साथ में लाना अनिवार्य है !
व्यय :- केवल एक वर्ष से अट्ठारह वर्ष तक की आयु के बालकों के लिए यह साधना पुर्णतः निःशुल्क है ।
विकल्प (नि:शुल्क) :- निःशुल्क वाग्देवी साधना की सुविधा केवल एक वर्ष से अट्ठारह वर्ष तक की आयु के बालकों के लिए उपलब्ध है ।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर दीक्षा व साधना हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।