विभिन्न कामनाओं के लिए श्री ललिता सहस्रनाम के कुछ तन्त्र प्रयोग आंशिक रूप से केवल जानकारी मात्र के लिए निर्दिष्ट किए गए हैं, जिनको निर्दिष्ट विधि एवं निर्दिष्ट मंत्रों का पाठ करते हुए विधिवत् सम्पन्न करने से निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है ।
विशेष चेतावनी :- श्री ललिता सहस्रनाम के यह तन्त्र प्रयोग करने से पूर्व इसके लिए अपने गुरु, पुरोहित अथवा किन्हीं श्रीविद्या साधक के सम्मुख स्वयं उपस्थित होकर उनकी आज्ञा प्राप्त कर, उनके निर्देशानुसार व उनसे प्राप्त गोपनीय सूत्रों सहित सम्पूर्ण विधि द्वारा ही सम्पन्न करना चाहिए होता है । अन्यथा स्वेच्छा से अथवा विकारयुक्त प्रयोग करने से व श्री ललिता सहस्रनाम के यह तन्त्र प्रयोग करने में कोई त्रुटि हो जाने पर नकारात्मक दुष्परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं, जिसके लिए आप स्वयं ही उत्तरदायी होते हैं ।
1 :- मकान प्राप्त करने के लिए ।
मन्त्र :- श्रीमाता श्री महाराज्ञी, श्री मत्सिंहासनेश्वरी । चिद्ग्नि कुण्डसम्भूता, देवकार्य समुद्यता ।
विधि :- श्वेत वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 21 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- चावल की खीर ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- एक श्वेत पुष्प भगवती ललिताम्बा को अर्पित करें और बड़ों को प्रणाम करें ।
2 :- शत्रुदमन एवं यश प्राप्ति हेतु ।
मन्त्र :- उद्यद्भानु सहस्राभा, चतुर्बाहु समन्विता । रागस्वरूप पाशाढ्या, क्रोधाकारांकुशोज्ज्वला ।
विधि :- लाल वस्त्र, उत्तरीय दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 21 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- बेसन के दो लड्डू ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा को दण्डवत् प्रणाम करें ।
3 :- घर से दरिद्रता हटाने के लिए ।
मन्त्र :- सर्वारुणानवद्यांगी, सर्वाभरणभूषिता । शिव कामेश्वरांकस्था, शिवा स्वाधीन वल्लभा ।
विधि :- पीला वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 21 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- ग्यारह गुलाब जामुन ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- सफेद पुष्पों की माला भगवती ललिताम्बा को पहनाएं ।
4 :- कठिन कार्यों को सरल बनाने के लिए ।
मन्त्र :- सुमेरु श्रृंग मध्यस्था, श्री मन्नगर नायिका । चिन्तामणि गृहान्तस्था, पंचब्रह्मासनस्थिता ।
विधि :- केसरिया वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 21 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- मीठी रोटी ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- एक का सिक्का भगवती ललिताम्बा के चरणों में अर्पित करें ।
5 :- भूत-प्रेत का भय दूर भगाने के लिए ।
मन्त्र :- महापद्माटवीसंस्था, कदम्बवन वासिनी । सुधासागर मध्यस्था, कामाक्षी कामदायिनी ।
विधि :- गुलाबी वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 11 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- इमरती ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा की हर दिन 11 परिक्रमा करें ।
6 :- नवीन वाहन प्राप्त करने के लिए ।
मन्त्र :- सम्पत्करी समारुढ़ा, सिन्धुरव्रज सेविता । अश्वारुढ़ाधिष्ठिता, अश्व कोटिभिरावृता ।
विधि :- लाल वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 21 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- मालपुए ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा को 21वें दिन लाल चुनरी व कुंकुम अर्पित करें ।
7 :- भौतिक व सौन्दर्य समृद्धि प्राप्ति के लिए ।
मन्त्र :- कामेश्वर प्राणनाडी, कृतज्ञा, कामपूजिता । शृंगार रससंपूर्णा, जया, जालंधरस्थिता ।
विधि :- लाल वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
पूर्वाभिमुख :- 21 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- द्राक्ष, रक्त करवीर पुष्प व “स्वयंभू: कुसुम” ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा को रक्त करवीर के पुष्प में “स्वयंभू: कुसुम” का अर्घ्य अर्पित करें ।
8 :- राजनैतिक सफलता व सत्ता प्राप्ति के लिए ।
मन्त्र :- राजराजेश्वरी, राज्यदायिनी, राज्यवल्लभा । राजत्-कृपा, राजपीठ निवेशित निजाश्रिताः
विधि :- पीला वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
उत्तराभिमुख :- 41 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- ताम्बूल ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा को पद्म के पुष्प अर्पित करें ।
9 :- आजीविका व व्यापार प्राप्ति तथा रोग, व्याधि से निवृत्ति के लिए ।
मन्त्र :- पायसान्नप्रिया, त्वक्स्था, पशुलोक भयंकरी । अमृतादि महाशक्ति संवृता, डाकिनीश्वरी ।
विधि :- लाल वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
ईशानाभिमुख :- 41 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- मखाना व द्राक्ष ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा को लवंग व ईलाईची के जोड़े अर्पित करें ।
10 :- ज्ञान, विज्ञान, आत्मज्ञान व विद्या प्राप्ति के लिए ।
मन्त्र :- चैतन्यार्घ्य समाराध्या, चैतन्य कुसुमप्रिया । सदोदिता, सदातुष्टा, तरुणादित्य पाटला ।
विधि :- केसरिया वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, धूप, दीप, कुमकुम, अक्षत, रुद्राक्ष की माला व पुष्प ।
ईशानाभिमुख :- 41 दिवस, 108 आवृत्ति ।
नैवैद्य :- आंवला ।
प्रयोगकाल में प्रतिदिन :- भगवती ललिताम्बा को भुर्जपत्र में “स्वयंभू: कुसुम” का अर्घ्य अर्पित करने के उपरान्त स्वयं “स्वयंभू: रस” का सेवन करें ।