।। श्री त्रिपुरभैरवी महाविद्या अनुष्ठान सत्र के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी दिनांक 13/04/2022 है, तथा इस अनुष्ठान हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 05/04/2022 है !।।
।। इस पृष्ठ पर लिखी गई अनुष्ठान पद्धति में यज्ञ विधान अनिवार्य होने के कारण यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली सामग्री हेतु साधक द्वारा धन का व्यय किया जाता है, इसलिए यह सःशुल्क अनुष्ठान है !।।
इस अनुष्ठान के लाभ :- “साधना” की अपेक्षा “अनुष्ठान” सम्पन्न करना अत्यन्त सरल होता है, जिसे कोई भी व्यक्ति किसी विशेष योग्यता के बिना ही सम्पन्न कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है ! साधना हेतु साधनाकाल में आसन, एकाग्रता व ब्रह्मचर्य आदि को स्थिर रखने की प्राथमिक आवश्यकता होती है जिस कारण साधना को प्रत्येक व्यक्ति आसानी से सम्पन्न नहीं कर पाता है ! इसके साथ ही जहां अनेक बार साधना सम्पन्न करने पर भी सफलता नहीं मिल पाती है वहीँ विधिवत् किया गया अनुष्ठान एक बार में ही सफल हो जाता है और साधक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है !
अपने जीवन में समस्त गुह्य विद्याओं, गुह्य तन्त्र, अर्थ व काम आदि समस्त भौतिक सर्वैश्वर्यों को भोगते हुए उत्तम जीवन जीने के उद्देश्य से यह अनुष्ठान सम्पन्न किया जाता है !
श्री त्रिपुरभैरवी महाविद्या के अनुष्ठान को संपन्न करने से इस अनुष्ठान के परिणाम स्वरूप साधक को अपने लक्ष्य की प्राप्ती होती है !
अनिवार्य योग्यताएं :- “श्री त्रिपुरभैरवी महाविद्या अनुष्ठान” में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से सात्विक भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से आराध्या शक्ति के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से मार्गदर्शक गुरु के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से परमार्थ की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में साधना की पूर्णता हेतु गुरु द्वारा प्रदत्त अनिवार्य निर्देशों व साधना के नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो !
- साधनाकाल के लिए अनिवार्य व्यवहारिक नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो ! व्यवहारिक नियमों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
इस अनुष्ठान में सम्मिलित होने के लिए उपरोक्त लिखी गई इस अनुष्ठान हेतु सभी “अनिवार्य योग्यताओं” को प्राप्त करने के लिए हमारे यहां से संचालित निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, अन्यथा अनुष्ठान से वंचित रखा जाता है ।
अनुष्ठान अवधि :- नियमानुसार यह अनुष्ठान पांच दिवस में विधिवत् सम्पन्न होता है ! किन्तु उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व अनुष्ठान के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह अनुष्ठान अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !
उपस्थिति व पंजिकरण :- अनुष्ठान हेतु अनुष्ठान प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा अनुष्ठान की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।
अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री साथ में लाना अनिवार्य है !
व्यय :- व्यय हेतु आप अपनी सुविधानुसार निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं ! सभी सज्जनों से विनम्र आग्रह है कि व्यय के लिए “विकल्प 1” का चयन करने का प्रयत्न करें ।
विकल्प 1 (स्वव्यवस्था) :- आपको अपनी अनुष्ठान सामग्री एवं रहन सहन की सभी व्यवस्थाएं स्वयं करने की स्वतंत्रता होती है, तथा आपको केवल 1/- रु (एक रुपया) मात्र अनुष्ठान की दक्षिणा के रूप में हमें देना होता है ।
विकल्प 2 (स:शुल्क) :- पांच दिवस के अनुष्ठान हेतु साधक की विश्राम, भोजन तथा दीक्षा/साधना सामग्री की सम्पूर्ण व्यवस्थाओं सहित प्रतिव्यक्ति कुल व्यय 14500/ रू है ।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर अनुष्ठान हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।