प्रत्यक्ष उर्वशी व रम्भा अप्सरा तीव्र सिद्धि अनुष्ठान – पांच दिवसीय विशेष अनुष्ठान !

।। प्रत्यक्ष उर्वशी व रम्भा अप्सरा तीव्र सिद्धि अनुष्ठान सत्र के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी दिनांक 25/10/2022 है, तथा इस अनुष्ठान हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 15/10/2022 है !।।

।। इस तिथी के उपरान्त यह अनुष्ठान दिनांक 24/07/2023 से प्रारम्भ होगा !।।

।। इस पृष्ठ पर लिखी गई अनुष्ठान की पद्धति में यज्ञ विधान अनिवार्य होने के कारण यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली सामग्री हेतु साधक द्वारा धन का व्यय किया जाता है, इसलिए यह सःशुल्क अनुष्ठान है !।।

इस अनुष्ठान के लाभ :- “साधना” की अपेक्षा “अनुष्ठान” सम्पन्न करना अत्यन्त सरल होता है, जिसे कोई भी व्यक्ति किसी विशेष योग्यता के बिना ही सम्पन्न कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है ! साधना हेतु साधनाकाल में आसन, एकाग्रता व ब्रह्मचर्य आदि को स्थिर रखने की प्राथमिक आवश्यकता होती है जिस कारण साधना को प्रत्येक व्यक्ति आसानी से सम्पन्न नहीं कर पाता है ! इसके साथ ही जहां अनेक बार साधना सम्पन्न करने पर भी सफलता नहीं मिल पाती है वहीँ विधिवत् किया गया अनुष्ठान एक बार में ही सफल हो जाता है और साधक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है !

अपने जीवन में अभिनय, नृत्य, मॉडलिंग, गायन, संगीत व सभी प्रकार की ललित कलाओं के क्षेत्र में पूर्णता के साथ सफल होने की क्षमता, रंग, रूप, सौन्दर्य, उत्तम यौवन, उत्तम पौरुष शक्ति, मधुर स्वर, नाट्य अभिनय की कला, आकर्षण की क्षमता, गीत संगीत की विद्या, बहुआयामी आंतरिक क्षमताओं में वृद्धि, तथा आकर्षक व्यक्तित्व, मन के अनुकूल जीवन साथी, कार्यक्षेत्र में मन के अनुकूल अधिकारी या सहकर्मी, व्यवसायिक व सामाजिक क्षेत्र में विशेष प्रतिष्ठा व ख्याति तथा जीवन में सभी प्रकार के प्रेम सौहार्द में पूर्णता प्राप्त करने के उद्देश्य से यह अनुष्ठान सम्पन्न किया जाता है !

इस अनुष्ठान के अन्त में उर्वशी अथवा रम्भा अप्सरा अपने साधक को प्रत्यक्ष दर्शन व आजीवन सहयोग करने का वचन देकर अन्तर्ध्यान हो जाती है !

अनुष्ठान के अन्त में उर्वशी अथवा रम्भा अप्सरा के द्वारा भविष्य में साधक की आवश्यकतानुसार सामाजिक, धर्म व नैतिक सीमाओं अन्दर रहते हुए अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन सहयोग करने का वचन देने के समय ही अन्तिम बार प्रत्यक्ष दर्शन दिया जाता है, इसके बाद उर्वशी अथवा रम्भा अप्सरा के अधिकार क्षेत्र के अधीन अनेक प्रकार से मार्ग प्रशस्त होकर क्षमताओं की वृद्धि व पूर्णता के साथ सहयोग व सफलता प्राप्त होती है !

अनुष्ठान :- उर्वशी अथवा रम्भा अप्सरा में से साधक की इच्छा या आवश्यकतानुसार किसी एक की ही दीक्षा देकर अनुष्ठान सम्पन्न कराया जायेगा ।

अनिवार्य योग्यताएं :- “प्रत्यक्ष उर्वशी व रम्भा अप्सरा तीव्र सिद्धि अनुष्ठान” में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !

इस साधना में सम्मिलित होने के लिए उपरोक्त लिखी गई सभी “अनिवार्य योग्यताओं” का पूर्ण होना अथवा हमारे यहां से संचालित निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, अन्यथा दीक्षा/साधना/अनुष्ठान से वंचित रखा जाता है ।

अनुष्ठान अवधि :- नियमानुसार यह अनुष्ठान पांच दिवस में विधिवत् सम्पन्न होता है ! किन्तु उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व अनुष्ठान के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह अनुष्ठान अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !

उपस्थिति व पंजिकरण :- अनुष्ठान हेतु अनुष्ठान प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा अनुष्ठान की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।

अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री साथ में लाना अनिवार्य है !

व्यय :- व्यय हेतु आप अपनी सुविधानुसार निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं ! सभी सज्जनों से विनम्र आग्रह है कि व्यय के लिए “विकल्प 1” का चयन करने का प्रयत्न करें ।

विकल्प 1 (स्वव्यवस्था) :- आपको अपनी अनुष्ठान सामग्री एवं रहन सहन की सभी व्यवस्थाएं स्वयं करने की स्वतंत्रता होती है, तथा आपको केवल 1/- रु (एक रुपया) मात्र अनुष्ठान की दक्षिणा के रूप में हमें देना होता है ।

विकल्प 2 (स:शुल्क) :- इस पांच (5) दिवसीय अनुष्ठान हेतु साधक की विश्राम, भोजन तथा दीक्षा/साधना सामग्री की सम्पूर्ण व्यवस्थाओं सहित प्रतिव्यक्ति कुल व्यय 29500/ रू है ।


श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर दीक्षा व साधना हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।