।। श्री अष्टलक्ष्मी दीक्षा के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी दिनांक 02/04/2022 है, तथा इस दीक्षा हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 24/03/2022 है !।।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा दीक्षा व साधना का समय व तिथि सौरमण्डलीय सकारात्मक स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किये जाते हैं, जो कि साधकों की साधना में सहयोत्मक व सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करते हुए साधकों को सहजता के साथ साधना सफल होने में सहायक होते हैं !
इस साधना के लाभ :- श्री अष्टलक्ष्मी की इस साधना को संपन्न करने से इस साधना के परिणाम स्वरूप साधक अपने जीवन में समस्त प्रकार के धन, धन्य, वस्त्र, पुत्र, वाहन, विद्या, आरोग्यता आदि समस्त भौतिक सर्वैश्वर्यों को भोगते हुए उत्तम जीवन जीता है !
यह दीक्षा प्राप्त कर लेने के उपरान्त साधक दीक्षा के समय प्राप्त हुए मन्त्र एवं साधना विधान के अनुसार अपने गृहक्षेत्र में जाकर साधना सामग्री स्वयं एकत्र करके अनुकूल स्थान पर यह नौ दिवसीय साधना संपन्न कर सकते हैं ।
अनिवार्य योग्यताएं :- श्री अष्टलक्ष्मी दीक्षा शिविर में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !
- साधनाकाल में एक से डेढ़ घंटे तक बिना हिले डुले एक ही स्थिर आसन में बैठने में अभ्यस्त हो !
- साधनाकाल में एक से डेढ़ घंटे तक मन की पूर्ण एकाग्रता से रहने में अभ्यस्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से ब्रहमचर्य से युक्त रहने में सक्षम हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से सात्विक भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से आराध्या शक्ति के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से मार्गदर्शक गुरु के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से उत्तम प्राण ऊर्जा (उत्साह) की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से परमार्थ की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में साधना की पूर्णता हेतु गुरु द्वारा प्रदत्त अनिवार्य निर्देशों व साधना के नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो !
- साधनाकाल के लिए अनिवार्य व्यवहारिक नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो ! व्यवहारिक नियमों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
साधना अवधि :- नियमानुसार यह साधना नौ (9) दिन में विधिवत् सम्पन्न होती है ! उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व साधना के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह साधना अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !
उपस्थिति व पंजिकरण :- दीक्षा हेतु दीक्षा प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा दीक्षा की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।
अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री साथ में लाना अनिवार्य है !
इस दीक्षा में सम्मिलित होने के लिए उपरोक्त लिखी गई इस दीक्षा हेतु सभी “अनिवार्य योग्यताओं” को प्राप्त करने के लिए हमारे यहां से संचालित निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, अन्यथा दीक्षा से वंचित रखा जाता है ।
व्यय :- व्यय हेतु आप अपनी सुविधानुसार निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं ! सभी सज्जनों से विनम्र आग्रह है कि व्यय के लिए “विकल्प 1” का चयन करने का प्रयत्न करें ।
विकल्प 1 (स्वव्यवस्था) :- आपको अपनी दीक्षा सामग्री एवं रहन सहन की सभी व्यवस्थाएं स्वयं करने की स्वतंत्रता होती है, तथा आपको केवल 1/- रु (एक रुपया) मात्र अनुष्ठान की दक्षिणा के रूप में हमें देना होता है ।
विकल्प 2 (नि:शुल्क) :- निःशुल्क दीक्षा की सुविधा केवल विद्यार्थियों व सन्तों के लिए एवं निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर में चिन्हित हुए गरीब/असहाय व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है । दीक्षा हेतु उपस्थित होने पर आपको अपनी पहचान/ तथा विद्यार्थियों को वर्तमान में विद्यार्थी होने का वैद्य अभिलेख प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा ।
विकल्प 3 (स:शुल्क) :- दीक्षा हेतु साधक की विश्राम, भोजन तथा दीक्षा सामग्री की सम्पूर्ण व्यवस्थाओं सहित प्रतिव्यक्ति कुल व्यय का अग्रिम भुगतान करना होता है ।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर दीक्षा व साधना हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।