।। इस पृष्ठ पर लिखी गई साधना पद्धति में यज्ञ विधान अनिवार्य नहीं होने के कारण यह निःशुल्क साधना है !।।
।। निःशुल्क श्री अष्टलक्ष्मी साधना सत्र के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी दिनांक 15/04/2022 है, तथा इस साधना हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 06/04/2022 है !।।
इस साधना के लाभ :- श्री अष्टलक्ष्मी की इस साधना को संपन्न करने से इस साधना के परिणाम स्वरूप साधक अपने जीवन में समस्त प्रकार के धन, धन्य, वस्त्र, पुत्र, वाहन, विद्या, आरोग्यता आदि समस्त भौतिक सर्वैश्वर्यों को भोगते हुए उत्तम जीवन जीता है !
यह दीक्षा प्राप्त कर लेने के उपरान्त साधक दीक्षा के समय प्राप्त हुए मन्त्र एवं साधना विधान के अनुसार श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर प्रकृति द्वारा निर्मित अनुकूल वातावरण में निर्बाध रहकर अपनी नौ दिवसीय साधना हमारे निर्देशन में संपन्न कर सकते हैं ।
अनिवार्य योग्यताएं :- श्री अष्टलक्ष्मी दीक्षा शिविर में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !
- साधनाकाल में एक से डेढ़ घंटे तक बिना हिले डुले एक ही स्थिर आसन में बैठने में अभ्यस्त हो !
- साधनाकाल में एक से डेढ़ घंटे तक मन की पूर्ण एकाग्रता से रहने में अभ्यस्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से ब्रहमचर्य से युक्त रहने में सक्षम हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से सात्विक भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से आराध्या शक्ति के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से मार्गदर्शक गुरु के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से उत्तम प्राण ऊर्जा (उत्साह) की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से परमार्थ की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में साधना की पूर्णता हेतु गुरु द्वारा प्रदत्त अनिवार्य निर्देशों व साधना के नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो !
- साधनाकाल के लिए अनिवार्य व्यवहारिक नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो ! व्यवहारिक नियमों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
इस साधना में सम्मिलित होने के लिए उपरोक्त लिखी गई सभी “अनिवार्य योग्यताओं” का पूर्ण होना अथवा हमारे यहां से संचालित निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, अन्यथा दीक्षा/साधना से वंचित रखा जाता है ।
साधना अवधि :- नियमानुसार यह साधना नौ (9) दिन में विधिवत् सम्पन्न होती है ! उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व साधना के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह साधना अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !
उपस्थिति व पंजिकरण :- साधना हेतु साधना प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा साधना की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।
अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री साथ में लाना अनिवार्य है !
व्यय :- इस पृष्ठ पर लिखी गई साधना पद्धति में यज्ञ विधान अनिवार्य नहीं होने के कारण यह निःशुल्क साधना है ।
विकल्प (नि:शुल्क) :- “मन्त्र जप या चक्रार्चन विधान” द्वारा सत्ताईस (27) दिवसीय निःशुल्क साधना की सुविधा सभी के लिए उपलब्ध है ।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर दीक्षा व साधना हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।