।। श्री सिद्ध भैरवी चक्र साधना सत्र के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी दिनांक 20/04/2022 है, तथा इस साधना हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 12/04/2022 है !।।
।। इस पृष्ठ पर लिखी गई साधना पद्धति में यज्ञ विधान अनिवार्य होने के कारण यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली सामग्री हेतु साधक द्वारा धन का व्यय किया जाता है, इसलिए यह सःशुल्क साधना है !।।
श्री सिद्ध भैरवी चक्र साधना (केवल पूर्वकौलाचार, दक्षिणाचार व समयाचार की सात्विक पद्धति द्वारा) !
इस साधना के लाभ :- श्री सिद्ध भैरवी चक्र की साधना को विधिवत् संपन्न करके सिद्ध भैरवी चक्र के रहस्य को जान लेने वाला गृहस्थ साधक इस के परिणाम स्वरूप अपने जीवन व इस सृष्टि के समस्त रहस्यों को जान लेता है, तथा अनाहक ही असंख्य शक्तियों एवं सिद्धियों ब्रह्मविद्या व श्रीविद्या जैसी सर्वोच्च विद्याओं को प्राप्त कर स्थिर चित्त व पूर्ण ब्रह्मवेत्ता बन जाता है ! ऐसा साधक अपने जीवन में समस्त गुह्य विद्याओं, गुह्य तन्त्र, अर्थ, काम, धन, धान्य, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, विद्या सहित समस्त भौतिक सुख, सौभाग्य, यश, समृद्धि व सर्वैश्वर्यों को भोगते हुए सर्वोत्तम जीवन जीता है ! जबकि सन्यासी साधक को ये सभी प्रभाव व लाभ उसकी आध्यात्मिक उपलब्धि के रूप में प्राप्त होते हैं !
साधकों द्वारा यह साधना इस साधना के लिए अनिवार्य समस्त योग्यताओं से युक्त होकर इस साधना के नियमों एवं विधान के अनुसार निष्ठापूर्वक विधिवत् सम्पन्न किए जाने पर साधना के प्रथम दिवस से ही शक्ति का आभास होना प्रारम्भ हो जाता है ! यह साधना पूर्ण सम्पन्न होने तक साधनाकाल में साधना के सभी नियमों का पालन करने वाले सभी पूर्ण निष्ठावान साधकों की कुण्डलिनी शक्ति व साधकों के सभी सोलह शक्तिकेन्द्र पूर्ण जागृत हो जाते हैं, तथा यह साधना पूर्ण सम्पन्न होने तक सिद्ध भैरवी चक्र की अधिष्ठात्री शक्तियों के अत्यन्त सुन्दर व सौम्य रूप में प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं, व सिद्ध भैरवी चक्र की शक्तियां साधकों को उनके अपेक्षित वरदान देने के साथ – साथ स्वेच्छा से कोई दैवीय वस्तु, द्रव्य, पदार्थ अथवा कोई विशेष शक्ति भी प्रदान कर जाया करती हैं !
अनिवार्य योग्यताएं :- श्री सिद्ध भैरवी चक्र साधना शिविर में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !
- साधनाकाल में ब्रहमचर्य पर नियन्त्रण रखने में सक्षम हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से सात्विक भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से मार्गदर्शक गुरु के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से उत्तम प्राण ऊर्जा (उत्साह) की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से परमार्थ की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में साधना की पूर्णता हेतु गुरु द्वारा प्रदत्त अनिवार्य निर्देशों व साधना के नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो !
- साधनाकाल के लिए अनिवार्य व्यवहारिक नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो ! व्यवहारिक नियमों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
इस साधना में सम्मिलित होने के लिए उपरोक्त लिखी गई सभी “अनिवार्य योग्यताओं” का पूर्ण होना अथवा हमारे यहां से संचालित निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, अन्यथा दीक्षा/साधना से वंचित रखा जाता है ।
साधना अवधि :- नियमानुसार यह साधना सत्ताईस दिवस की है, जिसको आवश्यकतानुसार तीन (3) या पांच (5) दिवस की साधना के पृथक – पृथक आवश्यकतानुसार तीन, पांच, सात चरणों में विभक्त कर पृथक – पृथक समय पर विधिवत् सम्पन्न किया जाता है, तथा साधना के चरणों की क्षय-वृद्धि साधकों की क्रियात्मकता पर ही पुर्णतः निर्भर होती है ! इस साधना के उपरोक्त सम्पूर्ण लाभ को प्राप्त करने के लिए इस साधना के सभी चरणों को सम्पन्न किया जाना अनिवार्य होता है ! उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व साधना के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह साधना अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !
उपस्थिति व पंजिकरण :- साधना हेतु साधना प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा साधना की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।
अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री साथ में लाना अनिवार्य है !
विशेष सूचना :- यह साधना सिद्ध भैरवी चक्र साधना करने वाले न्यूनतम तीन या पांच साधकों के बिना पूर्ण नहीं होती है, क्योंकि इस साधना में विषम संख्या में तीन, पांच, सात व अधिकतम नौ साधकों का साधना में उपस्थित होना अनिवार्य होता है ! अतः इस साधना हेतु या तो आप स्वयं तीन या पांच आदि विषम संख्या में साधक एक साथ आएं एवं सभी साधकों को अपना पृथक पृथक पंजिकरण करना होता है, तथा आप स्वयं तीन या पांच साधक एक साथ आने की सूचना हमें Contact Us पर ईमेल भेजकर देनी होती है ! अन्यथा इस साधना हेतु आप हमसे अनुमति लेने के बाद ही पंजिकरण करें !
व्यय :- व्यय हेतु आप अपनी सुविधानुसार निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं ! सभी सज्जनों से विनम्र आग्रह है कि व्यय के लिए “विकल्प 1” का चयन करने का प्रयत्न करें ।
विकल्प 1 (स्वव्यवस्था) :- आपको अपनी दीक्षा/साधना सामग्री एवं रहन सहन की सभी व्यवस्थाएं स्वयं करने की स्वतंत्रता होती है, तथा आपको केवल 1/- रु (एक रुपया) मात्र दीक्षा/साधना की दक्षिणा के रूप में हमें देना होता है ।
विकल्प 2 (स:शुल्क) :- दीक्षा/साधना हेतु साधक की विश्राम, भोजन तथा दीक्षा/साधना सामग्री की सम्पूर्ण व्यवस्थाओं सहित प्रतिव्यक्ति कुल व्यय का सात दिवस पूर्व तक अग्रिम भुगतान करना होता है ।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर दीक्षा व साधना हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।