।। इस पृष्ठ पर लिखी गई श्री ललिता महाविद्या साधना पद्धति में यज्ञ विधान अनिवार्य होने के कारण यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली सामग्री हेतु साधक द्वारा धन का व्यय किया जाता है, इसलिए यह सःशुल्क साधना है !।।
।। श्री ललिता महाविद्या साधना सत्र के प्रारम्भ होने की आगामी तिथी दिनांक 02/04/2022 है, तथा इस साधना हेतु पन्जिकरण करने कि अन्तिम तिथी दिनांक 24/03/2022 है !।।
इस साधना के लाभ :- श्री ललिता महाविद्या की इस साधना को संपन्न करने से इस साधना के परिणाम स्वरूप साधक अपने जीवन में धर्म, अर्थ व काम सहित समस्त भौतिक सर्वैश्वर्यों को भोगते हुए उत्तम जीवन जीता है !
प्रारम्भिक स्तर पर यह साधना पूर्ण रूप से केवल भौतिक साधना होती है, क्योंकि इस साधना का प्रारम्भिक स्तर विधिवत् सम्पन्न होने के परिणाम स्वरूप साधक को इस साधना के प्रभाव से उपरोक्त लिखित लाभों की अनेक प्रकार से केवल भौतिक स्तर पर समृद्धि की प्राप्ति होती है, तथा अनेक साधकों द्वारा इस साधना की शक्ति को अपने स्वार्थ, धन, अहंकार, बैर, पद, प्रतिष्ठा आदि या किसी अन्य लालच के कारण अनेक प्रकार से षट्कर्म (मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, मारण, स्तम्भन आदि) अनुष्ठानों में दुरूपयोग कर इस साधना की वास्तविक शक्ति व प्रभाव को धूमिल कर अपने कर्मों को भी विधिपूर्वक दूषित कर लिया जाता है !
किन्तु उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ साधकों द्वारा इस साधना के प्रारम्भिक स्तर को पूर्ण करने के उपरान्त इस साधना की शक्ति को षट्कर्म आदि अनुष्ठानों में दुरूपयोग ना करके केवल इस साधना के परिणाम स्वरूप मिलने वाले उपरोक्त लाभों से सम्बन्धी अपनी समृद्धि को अक्षय बनाए रखा जाता है, तथा कुछ साधकों द्वारा इस साधना के प्रारम्भिक स्तर को विधिवत् पूर्ण कर लेने के उपरान्त अपने गुरु से विधिवत् “राज्याभिषेक” आदि उच्च संस्कारों में अभिषिक्त होकर यह साधना पूर्ण रूप से आध्यात्मिक साधना में परिवर्तित कर ली जाती है, तथा “राज्याभिषेक” आदि उच्च संस्कारों में अभिषिक्त होकर इस साधना को आध्यात्मिक साधना में परिवर्तित कर लिए जाने पर इस साधना से मिलने वाले उपरोक्त परिणामों का भौतिक व आध्यात्मिक वर्चस्व एवं प्रभावक्षेत्र अनन्त गुणा अधिक समृद्ध व शक्तिशाली हो जाता है !
यह दीक्षा प्राप्त कर लेने के उपरान्त साधक दीक्षा के समय प्राप्त हुए मन्त्र एवं साधना विधान के अनुसार श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर प्रकृति द्वारा निर्मित अनुकूल वातावरण में निर्बाध रहकर अपनी नौ दिवसीय साधना हमारे निर्देशन में संपन्न कर सकते हैं ।
अनिवार्य योग्यताएं :- श्री ललिता महाविद्या दीक्षा/साधना शिविर में निम्नलिखित नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता रखने वाले सभी पुरुष साधक सम्मिलित हो सकते हैं !
- साधनाकाल में एक से डेढ़ घंटे तक बिना हिले डुले एक ही स्थिर आसन में बैठने में अभ्यस्त हो !
- साधनाकाल में एक से डेढ़ घंटे तक मन की पूर्ण एकाग्रता से रहने में अभ्यस्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से ब्रहमचर्य से युक्त रहने में सक्षम हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से सात्विक भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से आराध्या शक्ति के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से मार्गदर्शक गुरु के प्रति आस्थावान हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से उत्तम प्राण ऊर्जा (उत्साह) की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में कायिक वाचिक मानसिक रूप से परमार्थ की भावना से युक्त हो !
- साधनाकाल में साधना की पूर्णता हेतु गुरु द्वारा प्रदत्त अनिवार्य निर्देशों व साधना के नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो !
- साधनाकाल के लिए अनिवार्य व्यवहारिक नियमों का दृढ़तापूर्वक पालन करने की क्षमता से युक्त हो ! व्यवहारिक नियमों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें !
इस साधना में सम्मिलित होने के लिए उपरोक्त लिखी गई सभी “अनिवार्य योग्यताओं” का पूर्ण होना अथवा हमारे यहां से संचालित निःशुल्क साधनापूर्व प्रशिक्षण शिविर को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है, अन्यथा दीक्षा/साधना से वंचित रखा जाता है ।
साधना अवधि :- नियमानुसार यह साधना “मन्त्र जप व यज्ञ विधान” द्वारा नौ (9) दिवस, “मन्त्र जप या चक्रार्चन विधान” द्वारा इक्कीस (21) दिवस व शक्ति के तत्व को पूर्ण रूप से आत्मसात करते हुए “मन्त्र जप, चक्रार्चन, शक्ति व तत्व न्यास विधान” द्वारा इकतालीस (41) दिवस में विधिवत् सम्पन्न होती है ! उपरोक्त “योग्यता” के लिए लिखे गए निर्देशों व साधना के नियमों में समझौतावादी, स्वेच्छाचारी साधक के लिए यह साधना अवधि अनन्त काल तक की भी हो सकती है !
उपस्थिति व पंजिकरण :- साधना हेतु साधना प्रारम्भ होने की तिथि से न्यूनतम सात दिवस पूर्व तक किया गया पंजिकरण ही मान्य होगा, तथा साधना की तिथि से एक दिवस पूर्व दोपहर तक श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर उपस्थित होना अनिवार्य है ।
अनिवार्य :- पहचान व पते की पुष्टि के लिए किसी भी वैद्य अभिलेख की एक छायाप्रति व मूलप्रति तथा लाल, पीले, श्वेत, गुलाबी या बसंती रंग की एक धोती, एक गर्म चादर व लेखन सामग्री साथ में लाना अनिवार्य है !
व्यय :- व्यय हेतु आप अपनी सुविधानुसार निम्नलिखित विकल्पों में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं ! सभी सज्जनों से विनम्र आग्रह है कि व्यय के लिए “विकल्प 1” का चयन करने का प्रयत्न करें ।
विकल्प 1 (स्वव्यवस्था) :- आपको अपनी दीक्षा/साधना सामग्री एवं रहन सहन की सभी व्यवस्थाएं स्वयं करने की स्वतंत्रता होती है, तथा आपको केवल 1/- रु (एक रुपया) मात्र दीक्षा/साधना की दक्षिणा के रूप में हमें देना होता है ।
विकल्प 2 (स:शुल्क) :- “मन्त्र जप व यज्ञ विधान” द्वारा नौ (9) दिवसीय स:शुल्क दीक्षा/साधना हेतु साधक की विश्राम, भोजन तथा दीक्षा/साधना सामग्री की सम्पूर्ण व्यवस्थाओं सहित प्रतिव्यक्ति कुल व्यय का सात दिवस पूर्व तक अग्रिम भुगतान करना होता है ।
श्री ज्योतिर्मणि पीठ पर दीक्षा व साधना हेतु “पहले आओ-पहले पाओ” के आधार पर स्थान दिया जाता है, तथा निर्धारित संख्या पूर्ण होते ही नवीन पंजिकरण बंद कर दिए जाते हैं !
श्री ज्योतिर्मणि पीठ द्वारा महिलाओं को दीक्षा/साधना प्रदान नहीं की जाती है, यह हमारा व्यक्तिगत विषय है, अतः इस पर कोई प्रश्न न करें ।